Shaheed Bhagat Singh: जानिए शहीद भगत सिंह की116 दिनों की भूख हड़ताल और सॉन्डर्स की हत्या के बारे मे

हमारे भारत देश मे अगर छोटे से छोटे बच्चे को पूछा जाए की आप किसके जैसे बहादुर बनना चाहते है ? तो भारत का हर एक बचा ज़ोर से सिर्फ एक ही नाम बोलेगा और वो नाम है भारत के “वीर शहीद भगत सिंह” का। शहीद भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर, 1907 को पंजाब के लायलपुर जिले के बंगा नामक एक छोटे से गाँव में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। इस लेख में, हम भगत सिंह के जीवन, स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भूमिका और उनकी विरासत के बारे में कुछ रोचक तथ्यों का पता लगाएंगे।

शहीद भगत सिंह प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:

शहीद भगत सिंह का जन्म स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार में हुआ था और उनके पिता किशन सिंह और चाचा अजीत सिंह दोनों भारतीय आज़ादी के आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल थे।बचपन से ही पिता और चाचा के क्रांतिकारी विचारो से प्रभावित हो गए थे। वह एक उत्सुक पाठक थे और विशेष रूप से कार्ल मार्क्स, फ्रेडरिक एंगेल्स और व्लादिमीर लेनिन के लेखन से प्रेरित थे। 

Shaheed Bhagat Singh hd pics

शहीद भगत सिंह एक तेजस्वी छात्र थे और राजनीति और क्रांतिकारी विचारों में उनकी गहरी रुचि थी। उन्हें राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने के कारण स्कूल से निकाल दिया गया था और बाद में लाहौर के नेशनल कॉलेज में दाखिला लिया, जहाँ उन्होंने छात्र राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लिया।

आज़ादी के आंदोलन : 

सुखदेव और शिवराम राजगुरु जैसे अन्य समान विचारधारा वाले युवकों के साथ, उन्होंने 1928 में हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन  का गठन किया। 

Bhagat Singh और batukeshvar dutt  ने साथ मिलकर1929 में दिल्ली में सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेम्बली पर बमबारी की और  इस कृत्य के लिए उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। जेल में उनके समय के दौरान सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक राजनीतिक कैदियों के अमानवीय व्यवहार के विरोध में उनकी भूख हड़ताल थी। भगत सिंह और उनके साथी 116 दिनों की भूख हड़ताल पर चले गए और ब्रिटिश अधिकारियों को जेलों की स्थिति में सुधार करने के लिए मजबूर किया।

शहीद भगत सिंह ने अपने क्रांतिकारी विचारों और दर्शन के बारे में विस्तार से लिखने के लिए जेल में अपने समय का उपयोग किया। उन्होंने “मैं नास्तिक क्यों हूँ” सहित कई लेख और किताबें लिखीं, जो भारतीय क्रांतिकारी साहित्य का एक क्लासिक बन गया।

सॉन्डर्स की हत्या: 

साइमन कमिसन के विरोध के समय लाला लजपत राय का लाठी चार्ज के दोरान मृत्यु हो गया और लाठी चार्ज का ऑर्डर पुलिस सुपरिटेंडेंट जॉन सॉन्डर्स ने दिया था। लाला लजपत राय के मृत्यु का बदला लेने के लिए 1928 मे भगत सिंह और राजगुरु ने मिलकर सॉन्डर्स की गोली मार्कर हत्या करदी और अपना बदला पूरा किया था। 

भगत सिंह को फांसी की सजा : 

 जन आक्रोश और विरोध के बावजूद, भगत सिंह को, सुखदेव और राजगुरु के साथ, 23 मार्च, 1931 को लाहौर सेंट्रल जेल में 23 साल की उम्र में फांसी दे दी गई। लेकिन आज भी भगत सिंह भारत में एक सम्मानित व्यक्ति के रूप मे देखे जाते है जिसे आज भारत का हर बच्चा गर्व से भगत सिंह का नाम बोलता है। 

शहीद भगत सिंह से जुड़ी एक कहानी : 

एक बार भगत सिंह  के पिता देखते है की भगत सिंह खेत मे बंदुक को बोह रहे थे। भगत सिंह के पिता ने पूछा की बेटा ये बंदुके क्यूँ तुम ज़मीन मे बोह रहे हो? तो भगत सिंह ने जवाब दिया की एक बंदूक बोने से कुछ समय बाद इसमे से बहुत सारी बंदुके मिलेगी जिसे हम आज़ादी के लिए इस्तेमाल करेंगे। भगत सिंह के पिता को तब से पता चल गया था की बड़ा होकर ये जरूर क्रांतिकारी बनेंगा। 

एक बार भगत सिंह के माता ने भगत सिंह की शादी के लिए कोई लड़की पसंद की तो भगत सिंह शादी नहीं करने के लिए घर से भाग गए थे क्यूंकी वो भारत माता के लिए मारना चाहते थे। 

Relected Post:- राष्ट्रपिता महात्मा गांधी:- Mahatma Gandhi ke bare me top 100 Gk questions aur answer in Hindi

Leave a Comment