Prithviraj Chauhan: हिन्दूसम्राट पृथ्वीराज चौहान का परिचय और पूरा इतिहास

हमारे भारत मे कई महान योद्धा थे जिसकी बहादुरी और वीरता को आज भी लोग याद करते है। ऐसे ही एक महान योद्धा थे पृथ्वीराज चौहान जिसकी  बहादुरी के किस्से आज भी पूरे भारत मे हर घर मे चुनाए जाते है। इस लेख में, हम पृथ्वीराज चौहान के जीवन और उपलब्धियों पर करीब से नज़र डालेंगे।

Prithviraj Chauhan real photos

हिन्दूसम्राट पृथ्वीराज चौहान : History in Hindi

पूरा नाम: पृथ्वीराज चौहान

अन्य नाम: भरतेश्वर, पृथ्वीराज तृतीय, हिन्दूसम्राट, सपादलक्षेश्वर, राय पिथौरा
जन्मतिथि: 1 जून, 1163
जन्म स्थान: पाटण, गुजरात, 
मृत्यु : 11 मार्च, 1192
मृत्यु स्थान: अजयमेरु (अजमेर), राजस्थान
आयु :  28 साल मृत्यु के समय 
धर्म: हिन्दू
वंश:  चौहानवंश
पृथ्वीराज चौहान का परिवार :
पिता : सोमेश्वर
माता:  कर्पूरदेवी
भाई: हरिराज (छोटा)
बहन: पृथा (छोटी)
पत्नी:  इनकी 13 पत्निया थी (रानी संयोगिता, जंभावती, पड़िहारी, पंवारी, इच्छनी, दाहिया, जालंधरी, गुजरी, बड़गुजरी, यादवी, यादवी, पद्मावती, शशिव्रता, पुड़ीरानी )
बेटा: गोविंद चौहान
बेटी :कोई नहीं

पृथ्वीराज चौहान का परिचय:

पृथ्वीराज चौहान का जन्म 1166 ई. में अजमेर, राजस्थान में हुआ था। वह अजमेर के राजा सोमेश्वर चौहान और रानी कर्पूरादेवी के पुत्र थे। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा घर पर प्राप्त की और बाद में अजमेर के सरस्वती विद्या मंदिर गए, जहाँ उन्होंने एक व्यापक शिक्षा प्राप्त की। 

Prithviraj Chauhan:  हिन्दूसम्राट पृथ्वीराज चौहान

पृथ्वीराज के प्रारंभिक वर्ष: पृथ्वीराज चौहान के प्रारंभिक वर्षों को राजनीतिक अशांति और अस्थिरता से चिह्नित किया गया था। उनके पिता सोमेश्वर चौहान की मृत्यु हो गई जब वह सिर्फ 11 वर्ष के थे, और उनके चाचा विग्रहराज चतुर्थ अजमेर के राजा बने।

सत्ता में वृद्धि: 1178 ईस्वी में पृथ्वीराज चौहान अपने चचेरे भाई अरनोराजा को युद्ध में हराकर अजमेर की गद्दी पर बैठा। वह उस समय सिर्फ 12 साल का था लेकिन एक योद्धा और एक नेता के रूप में अपने कौशल का प्रदर्शन कर चुका था। पृथ्वीराज एक बुद्धिमान और न्यायप्रिय शासक था और उसके शासन काल में अजमेर राज्य समृद्ध हुआ। उसने कई किले, मंदिर और अन्य सार्वजनिक भवन बनवाए और उसके राज्य के लोग उससे प्यार करते थे।

पृथ्वीराज के सैन्य अभियान: पृथ्वीराज की सेना में घोड़ों की सेना का बहुत अधिक महत्व था, लेकिन फिर भी हस्ति (हाथी) सेना और सैनिकों की भी मुख्य भूमिका रहती थी। जिसके चलते पृथ्वीराज की सेना में 70,000 घुड़सवार सैनिक थे। जैसे-जैसे पृथ्वीराज की विजय होती गई, वैसे-वैसे सेना में सैनिकों की वृद्धि होती गई।

नारायण युद्ध में पृथ्वीराज की सेना में केवल 2,00,000 घुड़सवार सैनिक, पाँच सौ हाथी एवं बहुत से सैनिक थे।पृथ्वीराज चौहान न केवल एक अच्छे शासक थे, बल्कि एक महान योद्धा भी थे। वह मुस्लिम आक्रमणकारियों के खिलाफ अपने सैन्य अभियानों के लिए जाने जाते हैं, जो भारत को जीतने की कोशिश कर रहे थे। उनकी सबसे प्रसिद्ध विजयों में से एक 1191 ई. में तराइ के प्रथम युद्ध में घोर के मुस्लिम शासक, मोहम्मद घोर के विरुद्ध थी। इस लड़ाई को आज भी भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में याद किया जाता है, क्योंकि इसने भारत में मुस्लिम शासन के अंत की शुरुआत को चिह्नित किया था। 

Marriage of prithviraj chauhan-पृथ्वीराज चौहान की शादी: पृथ्वीराज चौहान की शादी सांबर के राजकुमारी सांभरदेवी से हुई थी। सांभरदेवी राजपूताना के शासक जयचंद की बेटी थी। 

Friends of Prithviraj  Chauhan- पृथ्वीराज चौहान के मित्र :  पृथ्वीराज सिंह चौहान के बचपन के समय में उनके एक मित्र थे जिनका नाम चंदरबाई था। पृथ्वीराज तो चनदरबाई को अपने भाई के समान मानते थे। चंदरबाई तोमर वंश के थे। चंदरबाई अनंगपाल के बेटी के पुत्र थे।

Death of Prithviraj Chauhan- पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु : युद्ध के बाद जब चंदरबाई और पृथ्वीराज को बंदी बना लाया गया था उसके बाद मोहमद गौरी ने उन दोनों पर बहुत से जुल्म किये और उनको बहुत सी यातनाएं दी। एक बार पृथ्वीराज चौहान की आंखो में गरम सरिया डाल दिया था  जिसकी  वजह से उनकी  आँखों की रौशनी चली गयी थी।

उसके बाद पृथ्वीराज से उनकी अंतिम इच्छा पूछी गयी थी तब उन्होंने चंदरबाई के शब्दों पर शब्दभेदी बाण का उपयोग करने की इच्छा रखी। उसके बाद चंदरबाई द्वारा बोले गए दोहे से उन्होंने मोहम्मद गौरी की भरी सभा में हत्या कर दी थी। यह खबर जानने के बाद संयोगितां ने भी अपने प्राण त्याग दिए।

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