सदियो से हमारा भारत अपनी परंपरा और संस्कृति से पूरी दुनिया से अलग और सर्व श्रेस्थ रहा है। भारत का पंचांग देश की संस्कृति और परंपरा का एक अभिन्न अंग होने के नाते अत्यधिक महत्व रखता है। इस लेख में, हम भारतीय पंचांग के इतिहास का पता लगाएंगे कि यह समय के साथ कैसे विकसित हुआ।
भारत का राष्ट्रीय पंचांग की उत्पत्ति :
शक पंचांग की उत्पत्ति भारत के कुषाण सम्राट राजा कनिष्क के शासनकाल के दौरान हुई थी। कैलेंडर शक युग की शुरुआत को चिह्नित करने के लिए बनाया गया था, जिसके बारे में माना जाता है कि यह 22 मार्च, 78 ईस्वी को शुरू हुआ था। शक युग सौर कैलेंडर पर आधारित है, जिसका अर्थ है कि यह सूर्य की गति का अनुसरण करता है।
भारतीय राष्ट्रीय कैलेंडर की संरचना :
कैलेंडर में बारह महीने होते हैं, प्रत्येक माह राशि चक्र के अनुरूप होता है। कैलेंडर को दो हिस्सों में बांटा गया है, जिसमें प्रत्येक आधा छह महीने का होता है। पहले भाग को उत्तरायण तथा दूसरे भाग को दक्षिणायन कहते हैं।
भारत का राष्ट्रीय पंचांग: शक संवत

:-आधुनिक भारत का राष्ट्रीय पंचांग “शक संवत” है ।
:- शक संवत को राष्ट्रीय पंचांग के रूप में 22 मार्च, 1957 को अपनाया गया था।
:- शक संवंत ई. 78 में शुरू हुआ था जिसकी शरूआत कनिष्क ने की थी ।
:-भारतीय कैलेंडर ग्रिगोरियन कैलेंडर पर आधारित है।
: भारतीय पंचांग का पहला महीना चैत्र है और आखिरी महीना फागन है।
:-शक संवंत के अनुसार पहला दिन 22 मार्च होता है और यदि लीप ईयर हो तो दिन 21 मार्च होता है।
भारतीय राष्ट्रीय पंचांग के बारे मे कुछ प्रश्न: gkhindiguide
1.आधुनिक भारत का राष्ट्रीय पंचांग “शक संवत” है ।
उत्तर:- “शक संवत”
2.शक संवत को राष्ट्रीय पंचांग के रूप में कब अपनाया गया था?
उत्तर:- 22 मार्च, 1957
3.शक संवंत के अनुसार पहला दिन कौनसा होता हैं?
उत्तर:- 22 मार्च
4.भारतीय पंचांग का पहला महीना कौनसा हैं?
उत्तर: भारतीय पंचांग का पहला महीना चैत्र है,
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