भारत के संविधान की प्रस्तावना इस दस्तावेज़ का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि यह भारतीय राज्य की रचना को आकार देने वाले मार्गदर्शक सिद्धांतों और आदर्शों को निर्धारित करती है। प्रस्तावना के इतिहास और इसके विकास का विवरण इस प्रकार है:
भारत के संविधान की प्रस्तावना का इतिहास : History of the Preamble of the Constitution of India in HIndi:
-मसौदा समिति की अध्यक्षता डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने की, जिन्होंने संविधान को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
-प्रस्तावना के मूल मसौदे में “संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य” शब्द का इस्तेमाल किया गया था और इसमें “राष्ट्र की एकता” को एक महत्वपूर्ण मूल्य के रूप में शामिल किया गया था। इसमें “न्याय”, “स्वतंत्रता”, “समानता” और “बंधुत्व” पर भी जोर दिया गया था जिसे भारतीय राज्य सुनिश्चित करेगा।
-प्रस्तावना को संविधान सभा के अंतिम सत्र के दौरान 26 नवंबर 1949 को भारत के संविधान के साथ अपनाया गया था।
“हम, भारत के लोग” वाक्यांश ने प्रस्तावना की शुरुआत को चिह्नित किया, जो भारत की लोकतांत्रिक प्रकृति पर जोर देता है, जहां सरकार का अधिकार लोगों से प्राप्त होता है।

भारत के संविधान की प्रस्तावना :-Bharat ke samvidhan ke bare me amazing facts in Hindi:
:-संविधान सभा में 13 दिसंबर, 1946 को जवाहरलाल नेहरू द्वारा उदेश्य प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया था ।
:-संविधान सभा के सलाहकार सर बर्निंगल नरसिम्हा राव द्वारा तैयार किया गया था।
:-22 जनवरी, 1947 को संविधान सभा द्वारा उद्देश्यों का प्रस्ताव स्वीकार किया गया था।
:-22 जनवरी, 1950 के इस उद्देश्य प्रस्ताव का संक्षिप्त संस्करण परिचय के रूप में स्वीकार किया।
:-भारत के संविधान की प्रस्तावना का स्रोत संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से लिया गया है।
:-दुनिया में यू.एस.ए (अमेरिका) का संविधान विश्व का सबसे पहला संविधान था। जिसमें परिचय शामिल था।
:- भारत के संविधान की प्रस्तावना मे राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र को समानता और बंधुत्व के एक साथ जोड़कर स्थापित किया है जिसे महात्मा गांधी ने ‘मेरे सपनों का भारत’ के रूप में वर्णित किया था।
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